आत्मनिर्भर भारत तथा हमारी अवधारणा-12

सन् 1966 में श्रीमती इंदिरा गांधी अमेरिकी प्रवास पर थीं। उस समय वहाँ के राष्ट्रपति लिंडन बी. जॉनसन थे। इंदिरा जी ने जॉनसन को कहा कि भारत को गेहूँ की आवश्यकता है, आप सप्लाई कीजिए। जॉनसन ने इसे माना। 20 हजार टन लाल गेहूँ प्रतिदिन भारत आता था। कुछ समय बाद यह भी कम पड़ने लगा, तो 50 हजार टन गेहूँ प्रति दिन अमेरिका से आने लगा। एक समुद्री जहाज प्रति 5 मिनट गेहूँ लेकर आता था। तब बाजार और राशन की दुकान द्वारा अनाज का वितरण होता था, बेचा जाता था।

अंग्रेजों ने भारतीय कृषि को कैसे नष्ट किया, यह अध्ययन का विषय है।

  • सन् 1950-51 में भारत में गेहूँ का उत्पादन मात्र 66 लाख टन था, जो वर्तमान में 1200 करोड़ टन गेहूँ पैदा करता है। भारत अपने उपयोग के बाद 3 करोड़ टन गेहूँ बचाता है।
  • सन् 1950-51 में चावल का उत्पादन 200 लाख टन था। आज भारत 1200 लाख टन चावल पैदा करता है।
  • पहले हम कुल 5 करोड़ टन खाद्यान्न पैदा करते थे। आज हम 30 करोड़ टन खाद्यान पैदा करते हैं।
    भारत आज खाद्यान्न की स्थिति में आत्मनिर्भर है। आत्मनिर्भर तो है ही, हम गरीब देशों को अन्न भी भेजते हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *