आत्मनिर्भर भारत तथा हमारी अवधारणा-14

  • हम सन् 1960 में 20 लाख टन आलू पैदा करते थे। आज हम 450 लाख टन आलू पैदा करते हैं।
  • फलों के उत्पादन के विषय में भारत विश्व में दूसरे नंबर पर आता है।
  • सब्जियों के विषय में भी भारत दूसरे नंबर पर है। भारत में अनेक ऐसी सब्जियों की पैदावार होती है, जो दुनियां में कहीं नहीं होती।
  • भविष्य में हम नई-नई तकनीक का पूरा लाभ उठाएँगे। यद्यपि दाल और खाने के तेल के उत्पादन में हम कुछ कदम पीछे हैं, पर आने वाले वर्षों में कहीं आगे निकल जाएँगे।
    यह सुखद पहलू है कि खाद्यान के क्षेत्र में भारत आयात करने वाले देश की जगह निर्यात करने वाला देश बन गया।

यू.के. के तत्कालीन प्रधानमन्त्री विंस्टन चर्चिल व्यंग्यात्मक उपहास से कहता था कि ‘भारत के लोग भूख से मर जाएँगे।’ उसकी बात को हमने झूठा प्रमाणित करके दिखाया है। उस समय देश की आबादी केवल 40 करोड़ थी। अब 140 करोड़ है। तब भी हम अपनी घरेलू पूर्ति के बाद पर्याप्त मात्रा में अन्न सुरक्षित रखते हैं। साथ ही गरीब देशों को सहायता के तौर पर निःशुल्क अनाज देते हैं। हम चर्चिल की तरह आपदा के समय व्यंग्य नहीं करते, क्योंकि निर्बल की सहायता करना भारत की संस्कृति है

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