Welcome to Vishwa Samvad Kendra, Chittor Blog श्रुतम् आत्मनिर्भर भारत तथा हमारी अवधारणा-16
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आत्मनिर्भर भारत तथा हमारी अवधारणा-16

आत्मनिर्भर भारत तथा हमारी अवधारणा-16

श्री जमशेद जी टाटा ने स्वामी विवेकानंद जी की दूसरी बात को मानते हुए भारतीय विज्ञान संस्थान (आई.आई.एस.) बैंगलोर की स्थापना की। इससे पहले जमशेद जी टाटा ने स्वामी जी से भेंट के पाँच वर्ष बाद स्वामी विवेकानंद जी को लिखा- “मुझे विश्वास है, आप मुझे एक साथी-यात्री के रूप में याद करते हैं। जापान से शिकागो के लिए आपकी यात्रा। मुझे इस समय भारत में तपस्वी भावना के विकास पर आपके विचार बहुत याद आते हैं। मुझे भारत के लिए विज्ञान अनुसंधान संस्थान की अपनी योजना के संबंध में ये विचार याद हैं।”
टाटा जी चाहते थे कि उनके इस अभियान का मार्गदर्शन करने स्वामी जी आएँ, पर वे किसी कारण आ न सके, तो उनकी सहायता के लिए अपने शिष्य को भेज दिया। विवेकानंद जी ने उत्साह के साथ इस परियोजना का समर्थन किया।

आज भारत इंग्लैंड की तुलना में 10 प्रतिशत ज्यादा इस्पात का उत्पादन करता है। अमेरिका से भी ज्यादा भारत इस्पात का उत्पादन करता है। जर्मनी, फ्रांस आदि अन्य इस्पात के उत्पादक देशों में भारत दूसरे नंबर पर आता है।
अंग्रेजी शासनकाल का समय था कि कोई इस्पात की उत्पादन इकाई भारत में लगाने को तैयार नहीं था। अंग्रेज खुद भी नहीं चाहते थे कि कोई भारतीय ऐसा करे। जबकि दो हज़ार वर्ष पूर्व हमने इतना बड़ा लौह स्तंभ (विष्णु स्तम्भ) बनाया। इतने बड़े स्तंभ में कहीं भी जोड़ नहीं है। इतना बड़ा स्तंभ हमने बनाया, तो सोचो कि हमारे पास कितनी बड़ी तकनीक थी। दुनियां की सबसे बड़ी तकनीक का प्रमाण यह लौह स्तंभ है।

बाद के कालखंड में अंग्रेजों ने हालात ऐसे कर दिए कि सारा लोहा बाहर से आने लगा। आज फिर 70 साल की यात्रा के बाद भारत उसी स्थान पर आ गया। भारतीय इस्पात उत्पादकों ने उच्च गुणवत्ता देने के साथ विदेशों में नाम भी कमाया है। कभी समय था कि इंग्लैंड ने हमें तकनीकी देने से मना कर दिया था, पर आज के दौर में भारत नई तकनीक के साथ इस्पात उत्पादन में अग्रणी देशों में गिना जाता है। यह आत्मनिर्भरता की ओर एक बड़ा कदम है।

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