Welcome to Vishwa Samvad Kendra, Chittor Blog श्रुतम् आत्मनिर्भर भारत तथा हमारी अवधारणा-3
श्रुतम्

आत्मनिर्भर भारत तथा हमारी अवधारणा-3

आत्मनिर्भर भारत तथा हमारी अवधारणा-3

हम कौन हैं? हम क्या थे? हम क्या हो गए? हमको क्या होना चाहिए ?
इस पर राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त ने ‘भारत भारती’ काव्य में एक छोटी सी कविता लिखी है, जो आज प्रासंगिक होते हुए चिंतन मनन योग्य है।

हम कौन थे, क्या हो गए हैं, और क्या होंगे अभी।
आओ विचारें आज मिलकर, ये समस्याएँ सभी।।
भू-लोक का गौरव, प्रकृति का पुण्य लीला स्थल कहाँ।
फैला मनोहर गिरि हिमालय, और गंगाजल कहाँ।।
संपूर्ण देशों से अधिक, किस देश का उत्कर्ष है।
उसका कि जो ऋषि भूमि है, वह कौन, भारतवर्ष है।।

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