आत्मनिर्भर भारत तथा हमारी अवधारणा-6
एक उदाहरण है, अमेरिकी लेखक मार्क ट्वेन, जिनका वास्तविक नाम सैमुअल लैंगरान क्लेमेंस था। वे भारत के बारे लिखते हैं:-
“भारत को एक नज़र से देखना, समग्र विश्व को देखने से कहीं बड़ा है। अगर भारत को एक नज़र से नहीं देखा, तो सारी दुनिया को देखना व्यर्थ है।”
जैसा मार्क ट्वेन ने लिखा है, ऐसा एक नहीं, सैकड़ों विदेशी विद्वानों ने भारत के बारे में लिखा है। भारत विश्व की सभ्यताओं का जनक है। ये विश्व की भाषाओं की जननी है। विश्व के बड़े-बड़े साहित्यकार, दार्शनिक, वैज्ञानिक आदि भारत के विषय में कितना सुंदर लिखते हैं, जो अकल्पनीय है।
जब हम आज की स्थिति देखते हैं, तब यह सब पढ़कर कदाचित भ्रम हो जाता है कि क्या भारत ऐसा भी था… !
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