शिवदेवी तोमर-2

सदियों तक चली घुसपैठी आक्रमणकारियों के विरुद्ध भारतीय प्रतिरोध की गाथा-19

16 वर्षीय युवती जिसने सन् 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में कई अंग्रेजी सैनिकों को मार गिराया…

10 मई 1857, रविवार। मेरठ छावनी में भारतीय सिपाहियों में असंतोष था। कारतूसों में गाय और सुअर की चर्बी लगी होने से भारतीय सिपाही आंदोलित थे। पश्चिम बंगाल के बैरकपुर में मंगल पांडे पहले ही इस बात को लेकर विद्रोह कर चुके थे, और अंग्रेजों ने उन्हें फाँसी पर चढ़ा दिया था।
उस दिन रविवार होने की वजह से कई अंग्रेज सिपाही और अफसर छुट्टी पर थे। वे लोग चर्च जाने की तैयारी कर रहे थे। उसी समय छावनी में मौजूद भारतीय सिपाहियों ने अंग्रेज अफसरों और सिपाहियों पर आक्रमण कर दिया। 50 अंग्रेज वहीं मारे गए। स्थानीय लोग भी भारतीय विद्रोही सिपाहियों के पक्ष में उठ खड़े हुए।

ये खबर सारे देश में जंगल की आग की तरह फैल गई। हर तरफ से अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह और आम जनमानस के उठ खड़े होने की खबरें आने लगीं। गाँव-गाँव में लोगों ने अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह का बिगुल बजा दिया।
मेरठ के पास बड़ौत में शाहमल सिंह तोमर के नेतृत्व में ग्रामीणों ने अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह कर दिया। उन्होंने बड़ौत की घेराबंदी कर ली और उसे अंग्रेजों से मुक्त कराकर वहाँ अपना झंडा लहरा दिया।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *