आज समाज और राष्ट्र की उन्नति के लिए अधिक समय देने की आवश्यकता – आनंद प्रताप
– विजयादशमी के अवसर पर शहर में तीन स्थानों से संघ के पथ संचलन निकले
– संचलन मार्ग में समाज द्वारा जगह-जगह पुष्प वर्षा से हुआ स्वागत
उदयपुर, 24 अक्टूबर। हमे संघ द्वारा समाज और राष्ट्र की उन्नति का कार्य करने के लिए और अधिक समय देना होगा। देश को वैभव के शिखर पर ले जाना है। भारत का अर्थ समझे तो यह है ‘भा‘ यानी ज्ञान और ‘रत’ यानी लीन। आज पूरा विश्व भारत को देख रहा है और भारत संघ को। इसलिए आवश्यकता है समाज का नेतृत्व खड़ा करने की, परिणामकारी कार्य करने की। यह विचार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के उदयपुर विभाग प्रचारक आनंद प्रताप सिंह ने सुखाड़िया विश्वविद्यालय प्रांगण में आयोजित विजयादशमी उत्सव मे स्वयं सेवकों को संबोधित करते हुए व्यक्त किये।
आनंद प्रताप ने कहा कि विजयादशमी उत्सव शक्ति का महापर्व है। इस उत्सव का पौराणिक महत्व अधर्म पर धर्म की विजय के रूप में जाना जाता है। इसी दिन प्रभु श्री राम ने रावण पर विजय प्राप्त की थी, भगवान शिव ने नौ दिनों तक शक्ति की उपासना की थी और उसके बाद शक्ति की स्वरूप मां दुर्गा ने महिषासुर का वध किया, अज्ञातवास के बाद विजयादशमी के दिवस पर ही पांडवों ने अपने अस्त्र बाहर निकाले और उनका पूजन किया था।
संघ के संस्थापक डॉ हेडगेवार जी ने बहुत विचार किया इस बिंदु पर की इतना वैभवशाली इतिहास होने के बाद भी हिंदू अपमानित क्यों हुआ, हमारा समाज पराभूत क्यों हुआ? इस पर गहन विचार करने के बाद समाज को शक्तिसंपन्न बनाने के उद्देश्य से उन्होंने सन 1925 में विजयादशमी के दिन संघ की स्थापना की। आज 98 वर्ष की यात्रा में विश्व में जहां – जहां भी हिंदू हैं वहाँ संघ पहुंच गया है। डॉक्टर हेडगेवार ने चरितार्थ किया कि विचारों की क्रांति दूरगामी परिणाम लाती है।
सावरकर जी ने कहा था कि जब देश संकट में हो और लोग दूर खड़े होकर तमाशा देखें तो यह शत्रुओं को आनंदित करता है। हमें भारत की आराधना करनी होगी, भारत को शक्ति सम्पन्न बनाना होगा, ऐसा कर पाने पर हमारे शत्रुओं की कभी हिम्मत नही होगी कि हमारी ओर आंख भीं उठा कर देख सकें।
आनंद प्रताप ने कहा कि दूसरों के जयगान से भारत का हित नहीं हो सकता। हमें अपनी शक्ति को पहचानना होगा और इस हेतु संघ के नेतृत्व में अपने कार्य का विस्तार करना होगा। हमें आसपास दिखाई देने वाली समस्याओं का अध्ययन कर उनका समाधान करना होगा। हमारे आसपास की बस्तियों में धर्मांतरण का कार्य तेजी से चल रहा है अतः इसे रोकने के लिए हमें अपनी बस्तियों/उपबस्तियों में संघ की शाखाएं खड़ी करनी होगी, हर घर में एक स्वयंसेवक होना चाहिए। यह समझना पड़ेगा कि कौन देश के साथ खड़ा है और कौन देश के विरुद्ध?
इसी क्रम में विद्या निकेतन सेक्टर 4 स्थित उत्सव में प्रान्त धर्मजागरण प्रमुख महिपाल सिंह राठौड़ ने अपने विचार रखे, राठोड ने बताया की हजारों वर्षों से भारत भूमि संघर्षरत रही है। इसकी अस्मिता, आत्मविश्वास और संस्कृति को छिन्न भिन्न करने के कई प्रयास हुए। सुभाष चन्द्र बोस, लोकमान्य बालगंगाधर तिलक, चन्द्र शेखर आजाद और गुरु गोविंद सिंह, डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार जैसे अनेकों महापुरुषों ने भारत भूमि के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया।
हरिदास जी की मगरी स्थित उत्सव में प्रान्त सह शारीरिक शिक्षण प्रमुख डॉ. भारत भूषण ओझा ने अपने विचार रखें, डॉ. भारत भूषण ने सामाजिक समरसता, सामाजिक सुरक्षा, सामाजिक सम्बल की बात कही और आव्हान किया की समाज विरोधी ताकतों द्वारा फैलाये जा रहे भ्रामक विमर्श को समाज को समझना होगा और उसका जवाब भी देना होगा, समाज की जागरूकता ही मज़बूत राष्ट्र का निर्माण कर सकती है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ उदयपुर महानगर द्वारा शहर में तीन स्थानों पर विजयादशमी उत्सव एवं संचलन किया गया । तीनों उत्सव में अतिथियों द्वारा शस्त्र पूजन किया गया, इसके पश्चात् अवतरण, काव्यगीत हुआ एवं बौद्धिक कर्त्ता का उद्बोधन हुआ, इसके पश्चात् संघ की प्रार्थना हुयी और पथ संचलन प्रारम्भ हुआ, संचलन मार्ग में जगह-जगह समाज जनों एवं सामाजिक संगठनों की ओर से पुष्प वर्षा कर भारत माता की जयकारो के साथ पथ संचलन का स्वागत किया गया
