सदियों तक चली घुसपैठी आक्रमणकारियों के विरुद्ध भारतीय प्रतिरोध की गाथा:- 10

अंग्रेजों के विरुद्ध भारत की पहली मानव बम..

जब पूजा का तीसरा और अंतिम चरण पूरा हुआ, अधिकतर तीर्थयात्री मंदिर से बाहर निकल गए तो कुयिली, वेलु नचियार और उनकी और महिला योद्धाओं ने अंग्रेजों पर आक्रमण कर दिया।
शिवगँगाई में अंग्रेज सेना का नेतृत्व कैप्टन बैंजार कर रहा था। अंग्रेज सैनिक हतप्रभ रह गए, वे इस आक्रमण के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं थे। बहुत सारे अंग्रेज सैनिक वहाँ युद्ध में मारे गए।

उधर बाहर मौजूद रानी की सेना ने भी शिवगँगाई पर आक्रमण कर दिया। मंदिर के पास तैनात अंग्रेज सैनिक ही वहीं मंदिर में मौजूद अंग्रेजों के बारूदखाने की रक्षा करते थे। उसी में अंग्रेजों की बहुत सारी बंदूकें भी रखी थीं।
सेनापति कुयिली अपने साथियों के साथ उस बारूदखाने पर कब्जा करने या उसे नष्ट करने के लिए आगे बढ़ी। अंग्रेज सैनिकों ने उसे रोकने की कोशिश की और उस पर गोलियाँ चलाई, एक गोली कुयिली को लगी परंतु वह आगे बढ़ती रहीं।
कुयिली को लगने लगा कि सम्भवतः वह बारूदखाने पर कब्जा करने में सफल नहीं हो सकेगी, वह घायल थीं और उसके साथियों की संख्या भी कम होती जा रही थी।

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